लेखनी प्रतियोगिता -02-Aug-2022 " आवाज़ "
आवाज़
निचोड़ लो हर बूंद रक्त की,
भले ही मेरे जिस्म से तुम,
रक्षक हूँ मैं इस धरा का,
कतरा-कतरा कहेगा तुमसे,
शांत जरुर है समंदर से,
कायर न समझना देख तुम,
आया क्रोध तो तुम क्या करोगे,
पल भर में जग में न मिलोगे,
वो कफ़न भी सोने का होगा,
जो लिपट जाये तिरंगा ,
वो मौत भी अमरत्व ही है,
मातृभूमि के लिये जो होगी,
मैं तो बस एक ढाल हूँ ,
तलवार यहाँ हर घर में है,
ठंडी निगाहों से न देखना,
ज्वाला भरी यहां सबमें है।
✒,,,,,,अक्षत कोठियाल "पहाड़ी"
Khan
03-Aug-2022 04:57 PM
Nice
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Punam verma
03-Aug-2022 07:53 AM
Very nice
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Abhinav ji
03-Aug-2022 07:37 AM
Very nice👍
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